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Rated: E · Lyrics · Biographical · #2034830
About my Mother
बिलख ना सकीं


छोड़ आया वो घर
उन सपनों की खातिर

जिस हाथ को पकड कर
चलना सीखा था
लिखना सीखा था
छोड़ आया वो दामन
खुद चलनें की खातिर

छोड़ आया वो आखें
जो छलक ना सकीं
बिलख ना सकीं
छोड आया अपनों को
अपनों की खातिर

घर छोड जाना क्या
किसी " विदाई" से कम था?
वो आज तक खोती रहीं
मन ही मन रोती रहीं
छोड आया वो यादें
उन आँसुओं की खातिर

घुट-घुट कर रहना उनका
किसी सजा से कम था?
या उनकी रजा मे दम था
जो छोडी़ सारी हसरतें
उन हसरतों की खातिर

छिन गया सब कुछ
फिर भी वो हारी नही
आन-मान संभाले रही
छोड आया हूँ हार
कुछ जीतने की खातिर

दुर गर करना ही था
तो जन्म क्यूँ दिया?
पालन-पोषण कयूँ किया?
पर शायद
ये दुनिया की रीति है
दुर हुई वो भी कभी
कुछ रीतों की खातिर
कुछ रिवाजों की खातिर.....
© Copyright 2015 Feelings (nasashivom at Writing.Com). All rights reserved.
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