\"Writing.Com
*Magnify*
SPONSORED LINKS
Printed from https://shop.writing.com/main/view_item/item_id/2035440-college-life
Item Icon
\"Reading Printer Friendly Page Tell A Friend
No ratings.
Rated: E · Poetry · Other · #2035440
this poem is about my college life.
College life

क्लाश का पहला दिन था
उनसे हमारी मुलाकात हुयी
हम तो तभी समझ गये
अब तो हमारी पढ़ाई बरबाद हुयी

हम बहुत कोशिश किये
फिर फेसबुक पर बात हुयी
हम खुद को इतना जलाते
जब भी किसी से उनकी बात हुयी

हम फेसबुक इतना चलायेंगे
ऐसी ना कभी अवकात हुयी
नेटचार्ज थे इतना आते
जेब पैसे से लाचार हुयी

हम कविता उनके लिये लिखते
आखिर वो इन पर फिदा हुयी
हम अपनी लेखनी को समझें
अब किसी के काबिल हुयी

हम तो थे हनुमान के चेले
पर कामदेव से कैसे हार हुयी
हम खुद को सान्त्वना देते
इस हार से वो मेरी यार हुयी
© Copyright 2015 Poem Engineer (sepneetesh at Writing.Com). All rights reserved.
Writing.Com, its affiliates and syndicates have been granted non-exclusive rights to display this work.
Printed from https://shop.writing.com/main/view_item/item_id/2035440-college-life