मत देख उस गमनिशा को जिस के पिछे खाई है/
आनंद ले इस बहार का जिसे भोर लाई है//
छ्ल सव्प्नो को याद करना/
रो-रो कर आहे भरना//
ये पतन तुमहारा कर देंगे/
सब सुभ कर्मो को हर लेंगे//
जो कल था कल हि रेह्ने दो वो आज कभि ना बन पाए/
भुतो वाली भुख ह ये वर्त्मान ना खा जाए//
वर्तमान नवसाखा है नवजीवन है नव योवन है/
वर्तमान नवउजियारा नवदिशा नवदर्शन है//
वर्तमान मे जिने का आनंद अनोखा होता है/
एसा गर ना हो तो फिर जीवन से धोखा होता है//
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