बहना कहाँ से शुरू करूँ मैं बहना क्या-क्या तुमको बतलाऊँ बहना जो भी था सो बीत गया है बस कल की सीख से सीखती रहना लगता तुमको गलत हुआ था उनकी नासमझी का असर हुआ था कुछ तुम भोली थीं, कुछ वो भोली थीं सब कुछ खो, वो सब कुछ सह लेतीं थीं अगर वो ममता का ममत्व न होता शायद तुम्हारा कोई महत्व न होता आज भी जो वो इतना सहतीं हैं प्यार तो वो तुमसे उतना ही करती हैं पर जितना तुम उनको चाहोगी जो चाहोगी, वो पाओगी ये पैसा-दोस्ती सब कुछ नहीं है बहना उनकी दुआएं हैं सबसे बड़ा गहना उनकी अब क्या-क्या बतलाऊँ कुछ अपने मन की भी सुनाऊँ माना कि छोटा हूँ तुमसे अब तक समझाया बड़ा समझ के सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा जब छोटे भाई का प्रेम नज़र आएगा यूँ ही नहीं मैं गुस्सा करता हूँ गलती पर ही निंदा करता हूँ इसलिए जो... गलतियों और गलतफहमियों कि खाई है जो समय के साथ-साथ इतनी दूरी लाई है न समझो इसके लिए जिम्मेदार किसी को कभी-कभी थोड़ा चिंतन करना भी सीखो तुम्हारा भला जो चाहा बचपन से तुम्हारे लिए जब लड़ा मैं सबसे सोचा तुम्हें अच्छा घर मिलेगा जीवनयापन को अच्छा वर मिलेगा लगता तो है सपना सच हो गया है बहना मेरा मन गदगद हो गया है आशा है ये रिश्ता अच्छे से निभाओगी कुछ दिनों में तुम दूर हो जाओगी अच्छी स्मृतियाँ सजा के रखना सबसे अपनी बना के रखना हर कर्तव्य निभाएगा तम्हारा यह भाई रक्षाबंधन के इस पर्व की बहुत-बहुत बधाई ।। |